Saturday, December 22, 2012

Capital Punishment is Injustice with Victim


Well Delhi is aggressive and collaboratively protesting against the Rapists of 23 year old paramedical student. Everyone is demanding “capital punishment” for the six rapists in fast track courts.

If I go with the majority who demands capital punishment, will this solve the problem? How it can be a lesson to the potential criminals and how it could be justice with the victim? Due to these bastards that girl is on ventilator and suffering so much, maybe she will suffer whole life for her one single mistake of boarding a wrong bus. Suppose tomorrow someone does magic to this government and the case is gone to fast track court and the criminals would be hanged in 10 days on December 31, 2012. People would become happy to have victory; everyone will think that they have brought justice to this girl. I ask to all the advocates of capital punishment, “how you can compare the suffering of person for whole life with the suffering of 10 days”. These criminals will live in fear for next 10 days and die after that, they would be free of their “troubles” but this girl would suffer for whole life. Other criminals will also be afraid for some time say maximum of 6 months or 1 year but after that everyone would forget about these incidents and punishments and next year another ghoulish crime would happen then we will start digging the old graves and on the same lines we will give capital punishment to those criminals. In this cycle the victim suffers for whole life but the criminal for a very small time. Is this what we call justice??

What actually should happen, if we really want to punish these people???

Take them into custody, beat them brutally and then put them into hospitals, remove one eye, one lung, some of the other important bones, cut the private parts and leave them so that they can just “stay alive”. Donate the removed parts to some really challenged person (at least some visually challenged can see this world) and that would be real punishment for these type of people. When anyone will look into their condition that person would be reminded of really bad consequences of crime, this would be a real lesson to the criminals. Putting them into jails and spending the tax payers hard earned money is never a wiser decision, this money should be used for some other purposes so that this kind of criminals doesn’t born again.
Nobody is born criminal, only situations make him criminal and the judiciary system or the punishment consequences which are not harsh enough, encourage him of doing crimes. If we would be able to suppress the situations and put fear of bad consequences then only we can expect a good society.

“Death is not fearful, living is fearful” If you are killing someone then you are making him happy, he is getting rid of his sufferings. But if you are forcing him "to live" life then that is real punishment.

In the end I want justice for the Victim girl and I want a “real justice”, if she is suffering 5% for her life these people should suffer 95%, you cannot give them an easy death. Capital punishment to the criminals would be injustice for the victim.

Comments are welcome.

Wednesday, January 25, 2012

Hullad ke dohe


Long Jokes

एक आदमी ने घनघोर तपस्या की
और शिवजी को प्रसन्न कर लिया।
शिवजी बोले - बेटा, मैं तुझसे बहुत खुश हूं।
कोई वरदान मांग ।
भक्त बोला - प्रभु, .....
मुझे एक गिटार दे दो।
गिटार !कैसा गधा है। शिवजी ने सोचा ।
कोई गिटार के लिए भी तपस्या करता है।
बोले - बेटा, तूने बड़ी तपस्या की है।
कुछ बड़ा मांग।
चिन्ता मत कर, सब कुछ मिलेगा।
भक्त बोला - नहीं प्रभु,
मुझे तो सिर्फ एक गिटार चाहिए
बस !शिवजी समझाने लगे - बेटा, कुछ ढंग का मांग।
मेरी रेपुटेशन का तो खयाल कर।
गिटार भी कोई मांगने की चीज है भला।
परंतु भक्त भी जिद पर अड़ा हुआ था
बोला - नहीं प्रभु,
अगर देना है तो बस गिटार ही दो !
अब शिवजी को गुस्सा आ गया,
बोले - गिटार ! गिटार ! गिटार !
अबे अगर गिटार मेरे पास होता तो
मैं ये डमरू क्यों बजाता फिरता
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क्लास में एक लड़की गुस्से में ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी, "सभी लड़के एक जैसे होते हैं... बिल्कुल एक जैसे..."

शरारती सार्थक ने लड़की के पास जाकर मासूमियत-भरे स्वर में कहा, "सभी लड़कों को ट्राई करने की तुझे ज़रूरत ही क्या थी...?"
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नदी के ऊपर बनाए गए पुल का उद्घाटन करने के लिए आए नेताजी ने किनारे पर बसे गांव के रहने वालों से कहा, "खुश हैं न आप लोग... अब तो अच्छा हो गया...?"

संता सिंह ने तपाक से जवाब दिया, "हां जी, जनाब... पहले धूप में तैरकर नदी पार करनी पड़ती थी, अब छांव रहा करेगी..."
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डूबते हुए आदमी ने
पुल पर चलते हुए आदमी को
आवाज़ लगायी "बचाओ बचाओ"
पुल पर चलते आदमी ने नीचे
रस्सी फेंकी और कहा आओ...

नदी में डूबता हुआ आदमी
रस्सी नही पकड़ पा रहा था
रह रह कर चिल्ला रहा था
मैं मरना नही चाहता
जिन्दगी बड़ी महंगी है
कल ही तो मेरी एक MNC में नौकरी लगी है....
इतना सुनते ही पुल पर चलते
आदमी ने अपनी रस्सी खींच ली
और भागते भागते वो MNC गया
उसने वहाँ के HR को बताया की
अभी अभी एक आदमी डूबकर मर गया है

और इस तरह आपकी कंपनी में
एक जगह खाली कर गया है...
में बेरोजगार हूँ मुझे ले लो...
HR बोली दोस्त तुमने देर कर दी,
अब से कुछ देर पहले
हमने उस आदमी को लगाया है
जो उससे धक्का दे कर
तुमसे पहले यहाँ आया है !!! 

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लड़की : कौन हो तुम?
लड़का : हसरत तुम्हरी!
लड़की : चाहते हो क्या?
लड़का : मोहब्बत तम्हारी!
लड़की : पछताओगे!
लड़का : किस्मत हमारी!
लड़की : शादी-शुदा हूँ मैं..
लड़का : पहले बोल देती 
मनहूस नारी!!!!
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एक दुखी स्टुडेंट/छात्र का दुःख....

बहुत दर्द होता हैं जब टीचर बोलता हैं की तुम्हारा और तुम्हरे आगे वाले का आंसर/उत्तर एक हैं..
तब दिल से आवाज़ आती हैं..
.
.
.
.
.
..
तो साले सवाल भी तो एक ही था!!!
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एक छोटा बच्चा : भगवन प्लीज पंजाब को अमेरिका की कैपिटल बना दो!!!


भगवान् : अरे क्या हुआ बेटा ऐसा क्यों चाहते हो तुम?



छोटा बच्चा : क्योंकि मैं एक्जाम में लिख आया की 
पंजाब अमेरिका की कैपिटल हैं.
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पंडित का तोता रोज 1 आदमी को देखता और बोलता : 

"और कमीने!!!"

उस आदमी ने पंडित से शिकायत कर दी पंडित ने तोते को खूब डाटा.

अगले दिन जब वो आदमी उस तोते के सामने से निकला तो तोते ने कुछ नहीं कहा.

थोडा आगे जा के उस आदमी ने मुड के देखा तो तोते ने हँसते हुए बोला.

"समझ तो तू गया ही होगा".

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सरदार जी : घर मै मेरा ही  हुकम
चलता है.


मै कहता हूँ, गरम पानी ले आओ,
वोह ले आती है,

दोस्त : गरम पानी क्यों?
सरदार जी: गरम पानी से बर्तन अच्छे धुलते हैं.....
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संता : प्यार का इजहार करने के दो शानदार तरीके क्या हैं?
बंता : मुझे तो सिर्फ दो ही तरीके पता हैं !
संता : कौन-कौन से ?

बंता : पहला तरीका
लड़की के पास जाओ, और उससे प्यार से बोलो की
"हे प्रिये मैं नहीं चाहता की बड़ा होकर मेरा लड़का तेरी लड़की को छेड़े, तू एक बार हाँ बोल तो दोनों को भाई बहन बना दू."
दूसरा तरीका
"लड़की को किसी बहुत ही अच्छी सी घुमने वाली जगह ले जाओ जहाँ पर नाव चलती हो, उसे नाव में बिठाओ और उसे झील के बीचोबीच में लेजाकर उससे प्यार से बोलो की 'प्रिये मैं तुमसे प्यार करता हु, अगर तुम्हे मुझसे प्यार हैं तो ठीक हैं वरना मेरी नाव से अभी उतर जाओ.'"
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एक पागल:
"मुझे कटरीना ने शादी के लिए हाँ बोल दी है"
दूसरा पागल:
दिखा दी ना उसने अपनी औकात?
मै भी इतनी आसानी से तलाक़ नहीं दूंगा..
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इंजीनियर वों हैं
जो अक्सर फसता है
साझात्कर के सवाल मे
बड़ी कम्पनी के जाल मे
बासँ और कलाइँट के बवाल मे,
इंजीनियर वो हैं,
जो पक गया है,
मीटिंग की झेलाई मे,
सबमिसन की गहराई मे,
टीमवर्क की चटाइँ मे
इंजीनियर वो हैं,
जो लगा रहता है,
सिडुयुल को फिसलाने मे
टार्गेट्स को खिसकाने मे
रोज़ नए नए बहाने बनाने मे
इंजीनियर वो हँ
जो लंच टाइम मे ब्रेंकफास्ट लेता है
डिनर टाइम मे लंच करता है , और
कोम्मुटेशन के वक्त सोया करता है
इंजीनियर वोह है
जो पागल है
चाय और समोसें के प्यार मे
सिगरेट के खुमार मे
बँढ्वाचिंग के विचार मे
इंजीनियर वो है
जो खोया है
रिमान्ड्र्सँ के जवाब मे
न मिलने वाले हिसाब मे
बेहतर भविष्य के ख्वाब मे
इंजीनियर वो है
जिसे इंतज़ार है
वीकएंड नाइट पर धूम मचने का
बॉस के छूटी पर जाने का
इन्क्रीमेंट की ख़बर आने का
इंजीनियर वो हँ i
जो सोचता है
काश पढ़ाई पर ध्यान दिया होता
काश टीचर से पंगा न लिया होता  
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लड़का - मुझे आपकी बेटी से शादी करनी हैं.
बाप - तेरी इनकम में तो वो आपने टोइलेट पेपर भी अफोर्ड नही कर सकती.
लड़का - अच्छा!
इतनी पौटी करती हैं तो फिर रहने दो.
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पति  पत्नी से : तुम मेरी ज़िन्दगी हो और..
पत्नी - और क्या? बताओ मुझे और क्या?
पत्नी चिल्लाई, बताओ और क्या?
पति - और लानत है ऐसी ज़िन्दगी पे.
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A Polish(native Poland) man moved to the USA and married an American girl.

Although his English was far from perfect, they got along very well until one day he rushed into a lawyer’s office and asked him if he could arrange a divorce for him.

The lawyer said that getting a divorce would depend on the circumstances, and asked him the following questions:
L: Have you any grounds?
P: Yes, an acre and half and nice little home.

L: No, I mean what is the foundation of this case?
P: It made of concrete.

L: I don’t think you understand. Does either of you have a real grudge?
P: No, we have carport, and not need one.

L: I mean. What are your relations like?
P: All my relations still in Poland.

L: Is there any infidelity in your marriage?
P: We have hi-fidelity stereo and good DVD player.

L: Is your wife a nagger?
P: No, she white.

L: Why do you want this divorce?
P: She going to kill me.

L: What makes you think that?
P: I got proof.

L: What kind of proof?
P: She going to poison me. She buy a bottle at drugstore and put on shelf in bathroom. I can read, and it say: Polish Remover”
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A Japanese tourist hailed a taxi in downtown Delhi and asked to be taken to the international  air port.

On the way, a car zoomed by and the tourist responded, “Ohhh! TOYOTA!! Made in Japan!! Very fast!”

Not too long afterward, another car flew by the taxi. “Ohh! NISSAN!! Made in Japan!! Very fast!”

Yet another car zipped by, and the tourist said, “Ohh! Mitsubishi!! Made in Japan!! Very fast!”

The taxi driver, who was 100% Indian, was starting to get a little annoyed that the Japanese made cars were passing his Taxi, when yet another car passed the taxi as they were turning into the airport. “Ohh! Honda!! Made in Japan!! Very fast!”

The taxi driver stopped the car, pointed to the meter, and said, “That’ll be Rupees 500.”

“Rupees 500? It was so short a ride! Why so much?”

The Taxi driver replied “Taxi meter. Made in India . Very fast.”
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Friday, December 9, 2011

Prisoners' v/s Employees...!!!!!








 
IN PRISON


AT WORK
You spend the majority of your time in an 8'X10' cell.
you spend most of your time in a 6'X8' cubicle ..
                                   
 



 

IN PRISON

AT WORK
You get three meals a day (free).
you only get a break for one meal and probably have to pay for it yourself .
 
 
 
 
 
 

 

IN PRISON


 
AT WORK
You get time off for good behavior.
                     
 
You get rewarded for good behavior with more WORK.
                                           
 

IN PRISON

AT WORK
a guard locks and unlocks the doors for you ..    
                                   
   
You must carry around a security card and unlock open all the doors yourself .

 

IN PRISON

AT WORK
You can watch TV and play games.
You get fired for watching TV and playing games.


 
 
IN PRISON
they allow your family and    
friends to visit.
 
AT WORK
  you cannot even speak to your family and friends.
                                       
 
 




 
 

IN PRISON

AT WORK
 
 
All expenses are paid by taxpayers with no work at all.
                               
 
You get to pay all the expenses to go to work and then they deduct taxes from your salary to pay for the prisoners.  
                                                                                   
   
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

Humm?

Which Sounds Better?

So what are you waiting for.........

       Kill your Boss
                                              


Saturday, August 20, 2011

Sarfaroshi ki Tamanna

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

ऐ वतन, करता नहीं क्यूँ दूसरी कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा ग़ैर की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

वक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान,
हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है
खेँच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद,
आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-क़ातिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर,
और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर.
ख़ून से खेलेंगे होली अगर वतन मुश्क़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हाथ, जिन में है जूनून, कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से.
और भड़केगा जो शोला सा हमारे दिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हम तो घर से ही थे निकले बाँधकर सर पर कफ़न,
जाँ हथेली पर लिए लो बढ चले हैं ये कदम.
ज़िंदगी तो अपनी मॆहमाँ मौत की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज.
दूर रह पाए जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमे न हो ख़ून-ए-जुनून
क्या लड़े तूफ़ान से जो कश्ती-ए-साहिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में

Jhansi Ki Rani

सिंहासन हिल उठे राजवंषों ने भृकुटी तनी थी,
बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सब ने मन में ठनी थी.
चमक उठी सन सत्तावन में, यह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.


कानपुर के नाना की मुह बोली बहन छब्बिली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वो संतान अकेली थी,
नाना के सॅंग पढ़ती थी वो नाना के सॅंग खेली थी
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी, उसकी यही सहेली थी.
वीर शिवाजी की गाथाएँ उसकी याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.


लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वो स्वयं वीरता की अवतार,
देख मरते पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना यह थे उसके प्रिय खिलवाड़.
महाराष्‍ट्रा-कुल-देवी उसकी भी आराध्या भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ बन आई रानी लक्ष्मी बाई झाँसी में,
राजमहल में बाजी बधाई खुशियाँ छायी झाँसी में,
सुघत बुंडेलों की विरूदावली-सी वो आई झाँसी में.
चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

उदित हुआ सौभाग्या, मुदित महलों में उजियली च्छाई,
किंतु कालगती चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
रानी विधवा हुई है, विधि को भी नहीं दया आई.
निसंतान मारे राजाजी, रानी शोक-सामानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

बुझा दीप झाँसी का तब डॅल्लूसियी मान में हरसाया,
ऱाज्य हड़प करने का यह उसने अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फौज भेज दुर्ग पर अपना झंडा फेहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज झाँसी आया.
अश्रुपुर्णा रानी ने देखा झाँसी हुई वीरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट शासकों की मॅयैया,
व्यापारी बन दया चाहता था जब वा भारत आया,
डल्हौसि ने पैर पसारे, अब तो पलट गयी काया
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया.
रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महारानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

छीनी राजधानी दिल्ली की, लखनऊ छीना बातों-बात,
क़ैद पेशवा था बिठुर में, हुआ नागपुर का भी घाट,
ऊदैपुर, तंजोर, सतारा, कर्नाटक की कौन बिसात?
जबकि सिंध, पंजाब ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात.
बंगाले, मद्रास आदि की भी तो वही कहानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

रानी रोई रनवासों में, बेगम गुम सी थी बेज़ार,
उनके गहने कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार,
सरे आम नीलाम छपते थे अँग्रेज़ों के अख़बार,
"नागपुर के ज़ेवर ले लो, लखनऊ के लो नौलख हार".
यों पर्दे की इज़्ज़त परदेसी के हाथ बीकानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

कुटियों में भी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,
वीर सैनिकों के मान में था अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धूंधूपंत पेशवा जूटा रहा था सब सामान,
बहिन छबीली ने रण-चंडी का कर दिया प्रकट आहवान.
हुआ यज्ञा प्रारंभ उन्हे तो सोई ज्योति जगानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की चिंगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थी,
मेरठ, कानपुर, पटना ने भारी धूम मचाई थी,
जबलपुर, कोल्हापुर, में भी कुछ हलचल उकसानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

इस स्वतंत्रता महायज्ञ में काई वीरवर आए काम,
नाना धूंधूपंत, तांतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुंवर सिंह, सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम.
लेकिन आज जुर्म कहलाती उनकी जो क़ुर्बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में,
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दनों में,
लेफ्टिनेंट वॉकर आ पहुँचा, आगे बड़ा जवानों में,
रानी ने तलवार खींच ली, हुआ द्वंद्ध आसमानों में.
ज़ख़्मी होकर वॉकर भागा, उसे अजब हैरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर, गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना तट पर अँग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार.
अँग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

विजय मिली, पर अँग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी,
अबके जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुंहकी खाई थी,
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थी,
यूद्ध क्षेत्र में ऊन दोनो ने भारी मार मचाई थी.
पर पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय! घिरी अब रानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार,
किंतु सामने नाला आया, था वो संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गये अवार,
रानी एक, शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार-पर-वार.
घायल होकर गिरी सिंहनी, उसे वीर गति पानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

रानी गयी सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वो सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेईस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आई बन स्वतंत्रता-नारी थी,
दिखा गयी पथ, सीखा गयी हमको जो सीख सिखानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी,
यह तेरा बलिदान जागावेगा स्वतंत्रता अविनासी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी.
तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

Krishna Ki Chetawani

वर्षों तक वन में घूम घूम
बाधा विघ्नों को चूम चूम
सह धूप घाम पानी पत्थर
पांडव आये कुछ और निखर

सौभाग्य न सब दिन होता है
देखें आगे क्या होता है

मैत्री की राह दिखाने को
सब को सुमार्ग पर लाने को
दुर्योधन को समझाने को
भीषण विध्वंस बचाने को
भगवान हस्तिनापुर आए
पांडव का संदेशा लाये

दो न्याय अगर तो आधा दो
पर इसमें भी यदि बाधा हो
तो दे दो केवल पाँच ग्राम
रखो अपनी धरती तमाम

हम वहीँ खुशी से खायेंगे
परिजन पे असी ना उठाएंगे

दुर्योधन वह भी दे ना सका
आशीष समाज की न ले सका
उलटे हरि को बाँधने चला
जो था असाध्य साधने चला

जब नाश मनुज पर छाता है
पहले विवेक मर जाता है

हरि ने भीषण हुँकार किया
अपना स्वरूप विस्तार किया
डगमग डगमग दिग्गज डोले
भगवान कुपित हो कर बोले

जंजीर बढ़ा अब साध मुझे
हां हां दुर्योधन बाँध मुझे

ये देख गगन मुझमे लय है
ये देख पवन मुझमे लय है
मुझमे विलीन झनकार सकल
मुझमे लय है संसार सकल

अमरत्व फूलता है मुझमे
संहार झूलता है मुझमे

भूतल अटल पाताल देख
गत और अनागत काल देख
ये देख जगत का आदि सृजन
ये देख महाभारत का रन

मृतकों से पटी हुई भू है
पहचान कहाँ इसमें तू है

अंबर का कुंतल जाल देख
पद के नीचे पाताल देख
मुट्ठी में तीनो काल देख
मेरा स्वरूप विकराल देख

सब जन्म मुझी से पाते हैं
फिर लौट मुझी में आते हैं

जिह्वा से काढती ज्वाला सघन
साँसों से पाता जन्म पवन
पर जाती मेरी दृष्टि जिधर
हंसने लगती है सृष्टि उधर

मैं जभी मूंदता हूँ लोचन
छा जाता चारो और मरण

बाँधने मुझे तू आया है
जंजीर बड़ी क्या लाया है
यदि मुझे बांधना चाहे मन
पहले तू बाँध अनंत गगन

सूने को साध ना सकता है
वो मुझे बाँध कब सकता है

हित वचन नहीं तुने माना
मैत्री का मूल्य न पहचाना
तो ले अब मैं भी जाता हूँ
अंतिम संकल्प सुनाता हूँ

याचना नहीं अब रण होगा
जीवन जय या की मरण होगा

टकरायेंगे नक्षत्र निखर
बरसेगी भू पर वह्नी प्रखर
फन शेषनाग का डोलेगा
विकराल काल मुंह खोलेगा

दुर्योधन रण ऐसा होगा
फिर कभी नहीं जैसा होगा

भाई पर भाई टूटेंगे
विष बाण बूँद से छूटेंगे
सौभाग्य मनुज के फूटेंगे
वायस शृगाल सुख लूटेंगे

आखिर तू भूशायी होगा
हिंसा का पर्दायी होगा

थी सभा सन्न, सब लोग डरे
चुप थे या थे बेहोश पड़े
केवल दो नर न अघाते थे
ध्रीत्रास्त्र विदुर सुख पाते थे

कर जोड़ खरे प्रमुदित निर्भय
दोनों पुकारते थे जय, जय

Jo Beet Gayi So Baat Gayi

जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अंबर के आंगन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फ़िर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई

जीवन में वह था एक कुसुम
थे उस पर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुबन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ
जो मुरझाईं फ़िर कहाँ खिलीं
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुबन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई

जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आंगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठते हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई

मृदु मिट्टी के बने हुए हैं
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन ले कर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फ़िर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं,मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई

Chetak Ki Veerta- Shyamnarayan Pandey

रणबीच चौकड़ी भर-भर कर
चेतक बन गया निराला था
राणाप्रताप के घोड़े से
पड़ गया हवा का पाला था

जो तनिक हवा से बाग हिली
लेकर सवार उड जाता था
राणा की पुतली फिरी नहीं
तब तक चेतक मुड जाता था

गिरता न कभी चेतक तन पर
राणाप्रताप का कोड़ा था
वह दौड़ रहा अरिमस्तक पर
वह आसमान का घोड़ा था

था यहीं रहा अब यहाँ नहीं
वह वहीं रहा था यहाँ नहीं
थी जगह न कोई जहाँ नहीं
किस अरि मस्तक पर कहाँ नहीं

निर्भीक गया वह ढालों में
सरपट दौडा करबालों में
फँस गया शत्रु की चालों में

बढते नद सा वह लहर गया
फिर गया गया फिर ठहर गया
बिकराल बज्रमय बादल सा
अरि की सेना पर घहर गया।

भाला गिर गया गिरा निशंग
हय टापों से खन गया अंग
बैरी समाज रह गया दंग
घोड़े का ऐसा देख रंग

Chhip-Chhip Ashru Bahane Waalon-Gopaldas 'Neeraj'

छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है


सपना क्या है, नयन सेज पर
सोया हुआ आँख का पानी
और टूटना है उसका ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों
कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है


माला बिखर गयी तो क्या है
खुद ही हल हो गयी समस्या
आँसू गर नीलाम हुए तो
समझो पूरी हुई तपस्या
रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज़ सिलाने वालों
कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है


खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतार चांदनी
पहने सुबह धूप की धोती
वस्त्र बदलकर आने वालों! चाल बदलकर जाने वालों!
चन्द खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।


लाखों बार गगरियाँ फूटीं,
शिकन न आई पनघट पर,
लाखों बार किश्तियाँ डूबीं,
चहल-पहल वो ही है तट पर,
तम की उमर बढ़ाने वालों! लौ की आयु घटाने वालों!
लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।


लूट लिया माली ने उपवन,
लुटी न लेकिन गन्ध फूल की,
तूफानों तक ने छेड़ा पर,
खिड़की बन्द न हुई धूल की,
नफरत गले लगाने वालों! सब पर धूल उड़ाने वालों!
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पन नहीं मरा करता है !

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